Bhawna
Sunday, December 6, 2009
दुखद..
जीवन साथी से बिछुड़ने का गम क्या होता है ये आप सभी जानते हैं, अम्माजी को भी इस कठिन दौर से गुज़रना पड़ा, पिछले कुछ महिनों पहले अम्माजी के जीवन साथी उनका साथ छोड़कर चले गए, ईश्वर उनको ये दु:ख सहने की शक्ति दे, अब अम्माजी अकेली तो भारत में नहीं रह सकती थीं,क्योंकि उनका पूरा परिवार अमेरिका में निवास करता है, अम्माजी अब हमेशा के लिए अपने वतन की मिट्टी की खुशबु को साँसों में भरकर, खट्टी,मीठी यादों को समेटकर अमेरिका चली गई, मुझे बहुत दु:ख है कि मैं उनसे जाते वक्त मिल नहीं पाई, मैं उस वक्त सिडनी में थी, हाँ एक बात अच्छी हुई.. प्रगीत उन दिनों भारत में ,थे वो अम्माजी से मिल पाये... अम्माजी ने मेरे लिए अपनी कुछ पुस्तके भेजी हैं.. आप सबकी फरमाईश पर मैं अम्माजी की रचनाएँ जल्दी ही पोस्ट करुँगी...
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अम्मा जी की रचनाओं का इन्तज़ार रहेगा भगवान उनको इस दुख को सहने की शक्ति दे। शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही दुख भरा समाचार है ......... ईश्वर उनको दुख सहने की हिम्मत दे ..........
ReplyDeleteबहुत दुखद..ईश्वर अम्मा जी को संबल प्रदान करे.
ReplyDeletebhagwaan amma ji ko himaat de..
ReplyDelete-Sheena
इस सुन्दर रचना के लिए
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ..............
एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं .........
जीवन साथी के बिछुड़ने से, कहने को तो इंसान अधूरा हो जाता है लेकिन वो स्वयं को एक तरह से पूरा का पूरा ख़त्म हुआ अध्याय के सामान समजहने लग पड़ता है. हमारे पापा भी सात महीने पहले हमें छोड़कर भगवान के पास चले गए. हम हमारी मम्मी का दर्द समझ सकते हैं हम उन्हें एक पल भी अकेला नहीं छोड़ते. हम जानते हैं की सभी को इस पल से होकर गुजरना है लेकिन फिर भी .......
ReplyDeleteyadain hai unke pas jo uneh jeevan ke safar me apne sathi
ReplyDeleteka ehsas karati rahenge .
rakesh
mojhe bahot accha laga unka sahas dekh kar,yadain jo apne jeevan ki sugat hai .amma ji ke man ko khoshi hasil ho
ReplyDeleteamma ji ko uper vala himmat de .
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