मेरा वजूदे-ख़ास, ये तेरी वजह से है
मेरे लबों पे प्यास ये, तेरी वजह से है।
मेरे लबों पे प्यास ये, तेरी वजह से है।
हम तेरे पास आ गए अपने ज़नून में
मंज़िल जो आई पास, ये तेरी वजह से है।
ये इंतिशारे-ज़ेहन भी है तेरी ज़ात से
और दिल है जो उदास, ये तेरी वजह से है।
आने से घर में तेरे बहारों की भीड़ है
रौनक़ है आस-पास, ये तेरी वजह से है।
जीने की आरज़ू थी न हसरत ही थी कोई
जीने की दिल में आस, ये तेरी वजह से है।
लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता- भावना कुँअर
वजूदे-ख़ास-विशिष्ट व्यक्तित्व, आरज़ू-आकांक्षा, लबों-होठों, हसरत-शेष इच्छा, जुनून-पागलपन, इंतिशारे-ज़ह्न-मानसिक चिन्ता, ज़ात-व्यक्ति