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माना कि कुछ नहीं हूँ मैं,लेकिन भरम तो है
यानि खुदा का मुझपे भी थोड़ा करम तो है।
यानि खुदा का मुझपे भी थोड़ा करम तो है।
दौलत खुशी की मुझपे नहीं है तो क्या हुआ
मुझपे मगर ये मेरा ख़ज़ाना-ए-गम तो है।
माना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
इस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।
पूछा उन्होंने हाल तो कहना पड़ा मुझे
शिद्दत ग़मे-हयात की थोड़ी-सी कम तो है।
चलिए, मैं बेशऊर हूँ, बे-अक़्ल हूँ बहुत
लेकिन हुज़ूर, बात में मेरी भी दम तो है।
लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता- भावना
प्रस्तुतकर्त्ता- भावना
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नहीं उसके सिवा तेरा कोई, ये याद कर ले
खुदा की याद से तू अपना दिल आबाद कर ले।
खुदा की याद से तू अपना दिल आबाद कर ले।
न उसको याद रखना, करना है बर्बाद खुद को
कहीं ऐसा न हो तू खुद को यूँ बर्बाद कर ले।
अगर फ़रियाद सच्चे दिल की हो, सुनता है मालिक
तू सच्चे दिल से उससे, चाहे जो फ़रियाद कर ले।
जो उससे बँध गया, हर ओर से आज़ाद है वो
तू अपने आपको हर ओर से आज़ाद कर ले।
कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।
लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता-
प्रस्तुतकर्त्ता-
साहिल पे सफ़ीना पुस्तक से
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, पढ़कर जी हरा हो गया!
ReplyDeleteदोनों ही रचनायें निहायत खूबसूरत लफ़्जों में लिखी गई हैं और दिल को छू लेती है... प्रस्तुति करण के लिये भावना जी का आभार
ReplyDeleteदोनों ही रचनाएँ मन में उतरती हैं...बहुत ही सुंदर हैं.....
ReplyDeleteवाकई मे बहुत ही उम्दा लिखा है..
ReplyDeleteअम्मा जी की बात मे दम तो है।
ReplyDeleteaapki bat dil ko chhu lene wali hai
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति । लेखन में काफी ताकत है । लिखते रहिए । काफी पसंद आया ।
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति । लेखन में काफी ताकत है । लिखते रहिए । काफी पसंद आया ।
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति । लेखन की और खीचता चला आया हूं । शु्क्रिया
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति । लेखन की और खीचता चला आया हूं । शु्क्रिया
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति । लेखन की और खीचता चला आया हूं । शु्क्रिया
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा पढकर....
ReplyDeleteकोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
ReplyDeleteकि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।
ye line mujhe bahut hi achhi lagi
माना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
ReplyDeleteइस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।
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चलिए, मैं बेशऊर हूँ, बे-अक़्ल हूँ बहुत
लेकिन हुज़ूर, बात में मेरी भी दम तो है।
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कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।
-बहुत सुंदर.
माना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
ReplyDeleteइस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।
Nice Badhaiyan
लेखिका और प्रस्तुत कर्ता दौनों वधाई की पात्र
ReplyDeleteकोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
ReplyDeleteकि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।
बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं ....भावना जी ,
माता जी को मेरी हार्दिक बधाई .और आपको भी
रचनाओं को पोस्ट करने के लिए.
हेमंत कुमार
बहुत बढ़िया...आभार..
ReplyDeleteमाना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
ReplyDeleteइस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।
बहुत अच्छा है
पूछा उन्होंने हाल तो कहना पड़ा मुझे
ReplyDeleteशिद्दत ग़मे-हयात की थोड़ी-सी कम तो है।
चलिए, मैं बेशऊर हूँ, बे-अक़्ल हूँ बहुत
लेकिन हुज़ूर, बात में मेरी भी दम तो है।
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जो उससे बँध गया, हर ओर से आज़ाद है वो
तू अपने आपको हर ओर से आज़ाद कर ले।
कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।
क्या कहे भावना जी ..अंमाजी की कलाम से जो भाव लफ़जो से बयाना होते हे.....काबिल-ए-तारीफ हे....
माना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
ReplyDeleteइस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।
कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।
लीलावती जी की इतनी खूबसूरत ग़ज़लों का संकलन है आपका यह ब्लॉग, लगता है पुस्तक अब खरीदनी पढेगी