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मुझसे नज़र बचा के अकेली गुज़र गई
कोई ज़रा बताए मुझे वो किधर गई।
महसूस कर रहा हूँ अब उसके फ़िराक़ में
जैसे कि रेल सीने से मेरे गुज़र गई।
कोई ज़रा बताए मुझे वो किधर गई।
महसूस कर रहा हूँ अब उसके फ़िराक़ में
जैसे कि रेल सीने से मेरे गुज़र गई।
जो भी सज़ाएँ देनी हों, वो दीजिए मुझे
सूरत हसीन आपकी, दिल में उतर गई।
अपने ही गाँव वाले मुझे जानते न थे
ये खुद की जुस्तज़ू, मुझे मशहूर कर गई।
हमने हसीन ख़्वाब तो देखे न थे कभी
किस की दुआ है आज जो क़िस्मत सँवर गई।
लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता- भावना कुँअर
जुस्तजू-तलाश, फ़िराक-चिन्ता, हसीन-सुन्दर
महसूस कर रहा हूँ अब उसके फ़िराक़ में
ReplyDeleteजैसे कि रेल सीने से मेरे गुज़र गई।
अपने ही गाँव वाले मुझे जानते न थे
ये खुद की जुस्तज़ू, मुझे मशहूर कर गई।
हमने हसीन ख़्वाब तो देखे न थे कभी
किस की दुआ है आज जो क़िस्मत सँवर गई।
बहुत बेहतरीन शेर कहें हैं...वाह...पूरी ग़ज़ल ही पुर असर है...शुक्रिया इसे पाठकों तक पहुँचने के लिए.
नीरज
आपकी कविता दिल को छू गई।
ReplyDeleteमहसूस कर रहा हूँ अब उसके फ़िराक़ में
ReplyDeleteजैसे कि रेल सीने से मेरे गुज़र गई।
बहुत सुन्दर शुक्रिया इसको पढ़वाने का
वाह जी वाह कितना प्यारा लिखा है ...सचमुच
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
Ek Behtarin kavita se mulakat ho gai
ReplyDeleteKis ki dua hai Aaj Jo Kismat Sanwar Gai
Hamne Haseen Khwab to Dekhe na the kabhi
Itna behtar likha hai Aapne ki Dil me utar gayi
GDSaklani
ग़ज़ल की बारीकियां काफिया रदीफ का चुस्त निर्वाह
ReplyDeleteखास कर उर्दू की मश्हूर बहर
मफऊल फाइलात मफाईल फाइलुन का हर शेर में निर्वाह.मुझे इस बहर ने रोक लिया.
जो भी सज़ायें देनी हों,वो दीजिए मुझे.
सूरत हसीन आपकी दिल में उतर गई.
इस शेर के क्या कहने.अल्लाह करे ज़ोर कलम और ज़्यादा.
अपने ही गाँव वाले मुझे जानते न थे
ReplyDeleteये खुद की जुस्तज़ू, मुझे मशहूर कर गई...
बढ़िया प्रस्तुति
आपको भी होली पर्व की शुभकामना .
सादर ब्लॉगस्ते,
ReplyDeleteकृपया पधारें व 'एक पत्र फिज़ा चाची के नाम'पर अपनी टिप्पणी के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करें।
आपकी प्रतीक्षा में...
सादर ब्लॉगस्ते,
ReplyDeleteकृपया पधारें व 'एक पत्र फिज़ा चाची के नाम'पर अपनी टिप्पणी के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करें।
आपकी प्रतीक्षा में...
आपको भी होली की शुभकामना ...
ReplyDeleteआपके और आपके पुरे परिवार को होली की बधाई और शुभकामनायें.
ReplyDeleteधन्यवाद
वाह ख़ूबसूरत रचना डॉ.साहब, होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएं\
ReplyDeleteहोली के पावन पर्व पर आपको एवं प्रियजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ~
ReplyDeleteअपने ही गाँव वाले मुझे जानते न थे
ReplyDeleteये खुद की जुस्तज़ू, मुझे मशहूर कर गई।
... प्रभावशाली अभिव्यक्ति , सुन्दर गजल है !!!!
hi..it is nice thing to know that you are writing in your own mother tongue...it is really a great contribution to save and protect our own mother tongue... by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?
ReplyDeleteRecently I was searching for the user friendly Indian Language typing tool and found.... " quillpad". do you use the same..?
Heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration....!? 'quillpad' provides rich text option as well as 9 Indian Languages too...
try this one, www.quillpad.in
For country like India, "English is not enough".
So...Save,protect,popularize and communicate in our own mother tongue....it'll be a great experience...
Jai...Ho..
lajawab........bahut badhiya sher hain......har sher ik kahani kehta hua.
ReplyDeleteसभी ग़ज़लें एक से बढ़कर एक हैं.. पहली बार ब्लॉग पर आया और मुरीद हो गया ....
ReplyDeletebahut khoob...!
ReplyDeleteहमने हसीन ख़्वाब तो देखे न थे कभी
किस की दुआ है आज जो क़िस्मत सँवर गई।
kya kahane
रमणीय
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