कुछ पाठकों ने इस ब्लॉग को पसंद किया है और अनुसरणकर्ता में अपना नाम दिया ना जाने मुझसे कैसे उनका नाम हट गया... मन बहुत दुखी हुआ... और मैं उनको देख भी नहीं पाई कि कौन-कौन थे.. अगर वे लोग फिर से अपना लिंक देंगे तो मुझे खुशी होगी....
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पता नहीं ये दिल की बातें दिल से कब हो जाती हैं
दिल के भीतर जाकर फिर वे ख़्वाबों में खो जाती हैं।
दिल के भीतर जाकर फिर वे ख़्वाबों में खो जाती हैं।
मुझसे था तो उसका रिश्ता, लेकिन उसने माना कब
चर्चाएँ इसकी भी आख़िर घर-घर में हो जाती है।
मुतवातिर नाकामी से हम कैसे खुश रह सकते हैं
इच्छाएँ मरने लगती हैं, उम्मीदें सो जाती हैं।
रैन-दिवस पगलाया-सा मैं आहें भरता रहता हूँ
आँसू की धाराएँ बह-बह, गालों को धो जाती हैं।
समझ नहीं पाता है कोई दिल को क्या हो जाता है
दिल के किए को मेरी साँसे किसी तरह ढो जाती है।
लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता- भावना कुँअर
मुतवातिर-लगातार
भावना जी अपने आप हटे होंगे
ReplyDeleteकुछ दिन पहले ऐसा ही हुआ था
फोओअर्स अपने काम कम हो गए थे
या कहें काम आ गए थे
यह तकनीक का फंडा था
इसकी कहीं से फंडिंग नहीं थी।
dil ki baatein sirf dil hi jaan sakta hai........bahut sundar rachna.
ReplyDeletebehatreen rachna ,bhavana ji
ReplyDeletewah
बढ़िया लिखा आपने बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteघुघूती बासूती
समझ नहीं पाता है कोई दिल को क्या हो जाता है
ReplyDeleteदिल के किए को मेरी साँसे किसी तरह ढो जाती है।
अम्माजी ने कमाल का लिखा है...शब्दों में तारीफ किही नहीं जा सकती...बेमिसाल लेखन...
नीरज
नायाब नज़्म है!
ReplyDelete---
गुलाबी कोंपलें
सुन्दर रचना । धन्यवाद ।
ReplyDeleteवाह लाजवाब !!! बहुत ही सुन्दर रचना ! पढ़वाने के लिए आभार.
ReplyDeleteबहुत सुँदर लयबध्ध रचना है भावना जी - हो सके तो इसे आप स स्वर रीकार्ड करके मुझे भेज दीजिये
ReplyDeleteहिन्दी युग्म के कवि सम्मेलन के लिये ..
my E mail ID is : lavnis@gmail.com
- लावण्या
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़लें हैं सभी की सभी ||
ReplyDeleteमुझसे था तो उसका रिश्ता, लेकिन उसने माना कब
चर्चाएँ इसकी भी आख़िर घर-घर में हो जाती है।
वाह वाह....
समझ नहीं पाता है कोई दिल को क्या हो जाता है
ReplyDeleteदिल के किए को मेरी साँसे किसी तरह ढो जाती है।
बहुत ही शानदार !!!!!!!!
नायाब रचना. बहुत आभार पढवाने के लिये.
ReplyDeleteरामराम.
मुझसे था तो उसका रिश्ता, लेकिन उसने माना कब
ReplyDeleteचर्चाएँ इसकी भी आख़िर घर-घर में हो जाती है
-बहुत अच्छा शे'र है। अपना सा लगता है
मुतवातिर नाकामी से हम कैसे खुश रह सकते हैं
ReplyDeleteइच्छाएँ मरने लगती हैं, उम्मीदें सो जाती हैं।
आपका ब्लॉग बहुत सुन्दर खजाने से भरा हुवा है सब खीचें चले आयेंगे.........
सुन्दर ग़ज़ल है
अम्मा जी की इतनी सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए भावना जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteBilkul theek likha aapne...
ReplyDeleteitna achchha padhvane ke liye shukriya
ReplyDeleteब्लौग-जगत में आपका स्वागत है. शुभकामनायें.
ReplyDeleteपता नहीं ये दिल की बातें दिल से कब हो जाती हैं
ReplyDeleteदिल के भीतर जाकर फिर वे ख़्वाबों में खो जाती हैं।
रचना अच्छी लगी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
jandar blog, shandar rachna. narayan narayan
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव है..शब्दों के प्रयोग ने प्रभावित किया......
ReplyDeleteमुतवातिर नाकामी से हम कैसे खुश रह सकते हैं
ReplyDeleteइच्छाएँ मरने लगती हैं, उम्मीदें सो जाती हैं।
दिलचस्प......ये शेर खासा पसंद आया है....
Achchha likha hai,
ReplyDeletekabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com
सुंदर.
ReplyDeletemaa ki amulya kavitao.n se parichay karaa ke aap bahut bada ehasaan kar rahi hai ham jaiso par
ReplyDeletebahut sundar kavita..!
Sundar abhivyakti, apni 'Follower' ki samasya ke samadhan ke liye is link ko aajma kar dekhiye.
ReplyDeletehttp://tips-hindi.blogspot.com/2009/02/blog-post_6334.html
जो दिल रखते हैं, वे ही सच्ची बातें कर सकते है,
ReplyDeleteसपनों में सही, परन्तु अच्छी बातें कर सकते हैं।
बेदिल वाले, प्रीत निभाना क्या जानें?
दिल की हाल, दिलवाले ही पहचानें।
सुन्दर रचना
ReplyDeleteरैन-दिवस पगलाया-सा मैं आहें भरता रहता हूँ
ReplyDeleteआँसू की धाराएँ बह-बह, गालों को धो जाती हैं।
बेहतरीन रचना पढ़वाने के लिए आपको हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
मुझसे था तो उसका रिश्ता, लेकिन उसने माना कब
ReplyDeleteचर्चाएँ इसकी भी आख़िर घर-घर में हो जाती है।
उम्दा लाइने हैं .सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आपको धन्यवाद .
Bhavna ji ,
ReplyDeletebahut achchhee gajal hai mata ji kee ...
khaskar ye panktiyan....
समझ नहीं पाता है कोई दिल को क्या हो जाता है
दिल के किए को मेरी साँसे किसी तरह ढो जाती है।
meree badhai ....pahunchayen.
Poonam
बहुत अच्छी रचना है । भाव और विचारों का बेहतर समन्वय है । इससे अभिव्यक्ति प्रखर हो गई है ।-
ReplyDeletehttp://www.ashokvichar.blogspot.com
बडी बहर में गजल कहन काफी मुकिश्ल होता है, लेकिन इसके बावजूद लीलावती बंसल जी ने अच्छी गजल कही है।
ReplyDeletehi, it is really nice to go through your blog...well written...by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?
ReplyDeleteas far as my knowledge is concern, now a days typing in an Indian Language is not a big task.. recently i was searching for the user friendly Indian language typing tool and found ... " quillpad " do you use the same...?
heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration..!?
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Jai...Ho.....
आप सभी पाठको का तहे दिल से शुक्रिया...
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