Monday, April 6, 2009

मैं उसे जानूं न जानूं, जानता है वो मुझे...

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मैं उसे जानूं न जानूं, जानता है वो मुझे
और अपना सिर्फ़ अपना मानता है मुझे।

हादसों के बोझ से उसकी कमर टूटी मगर
अपनी बद-हाली का कारण मानता है वो मुझे।

ज़र्फ का मेरे जनाज़ा उठ गया बरसों हुए
आज भी बाज़र्फ़ लेकिन मानता है मुझे।

इश़्क की फ़ितरत यही है जान ले लेता है वो
मैंने उसपे जां लुटा दी मानता है वो मुझे।

मैं तो खुद वाक़िफ़ नहीं थी आज तक इस बात से
जान से बढ़के प्यारी मानता है वो मुझे।

बदहाली-फटेहाली, फ़ितरत-शदत, ज़र्फ़-सहनशीलता, वाकिफ़-परिचित, बाज़र्फ़-सहनशील
लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता- भावना

19 comments:

  1. ज़र्फ का मेरे जनाज़ा उठ गया बरसों हुए
    आज भी बाज़र्फ़ लेकिन मानता है मुझे।

    बहुत सुंदर रचना.

    रामराम.

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  2. खूबसूरत लगे एक एक शेर ।

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  3. बहुत अच्‍छा लिखा ... सुंदर रचना ... बधाई।

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  4. बहुत सुन्दर लगा हर शेर ..उम्दा रचना शुक्रिया

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  5. क्या तारीफ करूँ ...शब्दों की कमी है

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  6. कुछ उर्दू के शब्दों का अर्थ भी पता चला । सुन्दर रचना । धन्यवाद ।

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  7. वाह ! वाह ! वाह !

    बहुत बहुत सुन्दर !! हरेक शेर जानदार शानदार...सीधे दिल में उतरती हुई...

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  8. हादसों के बोझ से उसकी कमर टूटी मगर
    अपनी बद-हाली का कारण मानता है वो मुझे।

    खूबसूरत शेर है...........
    वैसे पूरी ग़ज़ल लाजवाब है

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  9. ... बेहद प्रभावशाली।

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  10. इश़्क की फ़ितरत यही है जान ले लेता है वो
    मैंने उसपे जां लुटा दी मानता है वो मुझे।

    वाह.....वाह....!! बहुत खूब....!!

    मैं तो खुद वाक़िफ़ नहीं थी आज तक इस बात से
    जान से बढ़के प्यारी मानता है वो मुझे।

    भावना जी कमाल का लिखतीं हैं आप की अम्मां जी ....बहुत सुन्दर....!!

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  11. mera yahan aana ittefaq tha par comment dena ittefaq nahi hai.
    Bahut hi achchha laga rachnayein padh kar.
    Navnit Nirav

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  12. पुर-असर अश`आर जब भी बांच लेता है मेरे ,
    तब ग़ज़ल की शाहज़ादी मानता है वो मुझे .

    खूबसूरत ग़ज़ल के इन उम्दा ख्यालात के
    लिए मेरा abhivaadan स्वीकार करें ....
    ---मुफलिस---

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  13. bhawana ji bahut sundar rachana hai

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  14. bhawana ji acchi post hai....

    saath hi ise prachi ke paar main bhi dekha....

    apne isko save kiya iske liye dhanyvaad....
    ..samay aane par prakshit kar diya jiyega .

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  16. साह जी मैं आपका आशय नहीं समझी कहाँ प्रकाशित कर दिया जायेगा? मैंने तो कहीं प्रकाशित करने की बात नहीं की क्या आप मुझे लिंक भेज सकते हैं जहाँ ये पहले भी पढ़ी है आपने क्योंकि ये मैंने टाइप करके सिर्फ मेरे द्वारा बनाए अम्माजी के ब्लॉग पर ही डाली है...

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