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इस तरह लोगों के गर तू काम आता जाएगा
सबके दिल में एक दिन तू राम बन छा जाएगा।
इस तरह लोगों के गर तू काम आता जाएगा
सबके दिल में एक दिन तू राम बन छा जाएगा।
है तुझे उससे मुहब्बत इसमें शक कुछ भी नहीं
तू यक़ीं कर तू भी उसको एक दिन भा जाएगा।
जिस तरह मुमकिन हो हासिल कर उसे, खुश रख उसे
तू बड़ा हो जाएगा गर तू उसे पा जाएगा।
छल-कपट क्या चीज़ है चल जाएगा उसको पता
जब किसी से एक भी धोखा अगर खा जाएगा।
काम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
तू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।
वजूद-अस्तित्व
लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता- भावना
bahut hi badhiya ........prerna deti kavita.
ReplyDeleteकाम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
ReplyDeleteतू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।
बहुत प्रेणादायक रचना.
रामराम.
भावना जी,बहुत सुन्दर रचना है। बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव है-
काम कर ऐसा हिमालय-सा बने तेरा वजूद
तू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।
behtarin gazal
ReplyDeleteकाम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
ReplyDeleteतू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।
शानदार रचना .........लाजवाब ख्याल........
"काम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
ReplyDeleteतू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।"
केवल इन पंक्तियों ने ही सारा का सारा प्रभाव डाल दिया । मुग्ध हूँ ।
sahi me kaam aisa hi krna chahiye...ki vajood himalya sa ho...
ReplyDeleteलीलावती बंसल की सुन्दर गजल
ReplyDeleteप्रकाशित कर पढ़वाने के लिए,
डा0 भावना जी को धन्यवाद।
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : देख तेरे संसार की हालत, क्या हो गई भगवान,कितना बदल गया इन्सान साथ में आपकी चिठ्ठी भी
ReplyDeleteqaabil-e-taareef...
ReplyDelete... प्रभावशाली व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteछल-कपट क्या चीज़ है चल जाएगा उसको पता
ReplyDeleteजब किसी से एक भी धोखा अगर खा जाएगा।
achchha laga. badhai.
है तुझे उससे मुहब्बत इसमें शक कुछ भी नहीं
ReplyDeleteतू यक़ीं कर तू भी उसको एक दिन भा जाएगा।
khoob...!
Very nicely said...
ReplyDelete~Jayant
Very nicely said...
ReplyDelete~Jayant
छल-कपट क्या चीज़ है चल जाएगा उसको पता
ReplyDeleteजब किसी से एक भी धोखा अगर खा जाएगा।
लाजवाब...वाह.
नीरज
यहाँ आना हर बार एक पावन प्रक्रिया से गुज़रना
ReplyDeleteही होता है ....
अच्छे विचारों से साक्षात्कार
और माँ जी का आशीर्वाद ....
बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल पढ़ कर मन संतुष्ट हुआ
और ये माँ के क़दमों में . . . .
"तुम स्वयं को जोड़ लो उससे समर्पण भाव से
फिर कठिन राहों में भी जीना तुम्हे आ जाएगा.."
---मुफलिस---
बहुत उत्तम रचना है !
ReplyDeleteकाम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
ReplyDeleteतू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।
शुक्रिया भावना जी . उम्दा ,प्रेरणादायी ,सहज शब्दों की इस बेहतरीन रचना की प्रस्तुति के लिए . रचना शिल्पी अम्मा जी का आभार .