Wednesday, April 15, 2009

इस तरह लोगों के गर तू काम आता जाएगा

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इस तरह लोगों के गर तू काम आता जाएगा
सबके दिल में एक दिन तू राम बन छा जाएगा।

है तुझे उससे मुहब्बत इसमें शक कुछ भी नहीं
तू यक़ीं कर तू भी उसको एक दिन भा जाएगा।

जिस तरह मुमकिन हो हासिल कर उसे, खुश रख उसे
तू बड़ा हो जाएगा गर तू उसे पा जाएगा।

छल-कपट क्या चीज़ है चल जाएगा उसको पता
जब किसी से एक भी धोखा अगर खा जाएगा।

काम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
तू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।

वजूद-अस्तित्व

लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता- भावना

19 comments:

  1. bahut hi badhiya ........prerna deti kavita.

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  2. काम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
    तू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।

    बहुत प्रेणादायक रचना.

    रामराम.

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  3. भावना जी,बहुत सुन्दर रचना है। बधाई।
    बहुत सुन्दर भाव है-

    काम कर ऐसा हिमालय-सा बने तेरा वजूद
    तू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।

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  4. काम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
    तू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।

    शानदार रचना .........लाजवाब ख्याल........

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  5. "काम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
    तू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।"

    केवल इन पंक्तियों ने ही सारा का सारा प्रभाव डाल दिया । मुग्ध हूँ ।

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  6. sahi me kaam aisa hi krna chahiye...ki vajood himalya sa ho...

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  7. लीलावती बंसल की सुन्दर गजल
    प्रकाशित कर पढ़वाने के लिए,
    डा0 भावना जी को धन्यवाद।

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  8. ... प्रभावशाली व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति ।

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  9. छल-कपट क्या चीज़ है चल जाएगा उसको पता
    जब किसी से एक भी धोखा अगर खा जाएगा।
    achchha laga. badhai.

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  10. है तुझे उससे मुहब्बत इसमें शक कुछ भी नहीं
    तू यक़ीं कर तू भी उसको एक दिन भा जाएगा।

    khoob...!

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  11. Very nicely said...

    ~Jayant

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  12. छल-कपट क्या चीज़ है चल जाएगा उसको पता
    जब किसी से एक भी धोखा अगर खा जाएगा।


    लाजवाब...वाह.
    नीरज

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  13. यहाँ आना हर बार एक पावन प्रक्रिया से गुज़रना
    ही होता है ....
    अच्छे विचारों से साक्षात्कार
    और माँ जी का आशीर्वाद ....

    बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल पढ़ कर मन संतुष्ट हुआ

    और ये माँ के क़दमों में . . . .

    "तुम स्वयं को जोड़ लो उससे समर्पण भाव से
    फिर कठिन राहों में भी जीना तुम्हे आ जाएगा.."

    ---मुफलिस---

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  14. बहुत उत्तम रचना है !

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  15. काम कर ऐसा, हिमालय-सा बने तेरा वजूद
    तू बड़ा होगा तभी जब तू उसे पा जाएगा।
    शुक्रिया भावना जी . उम्दा ,प्रेरणादायी ,सहज शब्दों की इस बेहतरीन रचना की प्रस्तुति के लिए . रचना शिल्पी अम्मा जी का आभार .

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