Wednesday, February 4, 2009

कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू...

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माना कि कुछ नहीं हूँ मैं,लेकिन भरम तो है
यानि खुदा का मुझपे भी थोड़ा करम तो है।

दौलत खुशी की मुझपे नहीं है तो क्या हुआ
मुझपे मगर ये मेरा ख़ज़ाना-ए-गम तो है।

माना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
इस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।

पूछा उन्होंने हाल तो कहना पड़ा मुझे
शिद्दत ग़मे-हयात की थोड़ी-सी कम तो है।

चलिए, मैं बेशऊर हूँ, बे-अक़्ल हूँ बहुत
लेकिन हुज़ूर, बात में मेरी भी दम तो है।
लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता- भावना
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नहीं उसके सिवा तेरा कोई, ये याद कर ले
खुदा की याद से तू अपना दिल आबाद कर ले।

न उसको याद रखना, करना है बर्बाद खुद को
कहीं ऐसा न हो तू खुद को यूँ बर्बाद कर ले।

अगर फ़रियाद सच्चे दिल की हो, सुनता है मालिक
तू सच्चे दिल से उससे, चाहे जो फ़रियाद कर ले।

जो उससे बँध गया, हर ओर से आज़ाद है वो
तू अपने आपको हर ओर से आज़ाद कर ले।

कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।
लेखिका- लीलावती बंसल
प्रस्तुतकर्त्ता-
साहिल पे सफ़ीना पुस्तक से

21 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, पढ़कर जी हरा हो गया!

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  2. दोनों ही रचनायें निहायत खूबसूरत लफ़्जों में लिखी गई हैं और दिल को छू लेती है... प्रस्तुति करण के लिये भावना जी का आभार

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  3. दोनों ही रचनाएँ मन में उतरती हैं...बहुत ही सुंदर हैं.....

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  4. वाकई मे बहुत ही उम्दा लिखा है..

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  5. अम्मा जी की बात मे दम तो है।

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  6. aapki bat dil ko chhu lene wali hai

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  7. शानदार प्रस्तुति । लेखन में काफी ताकत है । लिखते रहिए । काफी पसंद आया ।

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  8. शानदार प्रस्तुति । लेखन में काफी ताकत है । लिखते रहिए । काफी पसंद आया ।

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  9. शानदार प्रस्तुति । लेखन की और खीचता चला आया हूं । शु्क्रिया

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  10. शानदार प्रस्तुति । लेखन की और खीचता चला आया हूं । शु्क्रिया

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  11. शानदार प्रस्तुति । लेखन की और खीचता चला आया हूं । शु्क्रिया

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  12. बहुत अच्‍छा लगा पढकर....

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  13. कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
    कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।
    ye line mujhe bahut hi achhi lagi

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  14. माना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
    इस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।
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    चलिए, मैं बेशऊर हूँ, बे-अक़्ल हूँ बहुत
    लेकिन हुज़ूर, बात में मेरी भी दम तो है।
    ****************************************************
    कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
    कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।

    -बहुत सुंदर.

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  15. माना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
    इस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।
    Nice Badhaiyan

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  16. लेखिका और प्रस्तुत कर्ता दौनों वधाई की पात्र

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  17. कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
    कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।
    बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं ....भावना जी ,
    माता जी को मेरी हार्दिक बधाई .और आपको भी
    रचनाओं को पोस्ट करने के लिए.
    हेमंत कुमार

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  18. माना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
    इस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।



    बहुत अच्छा है

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  19. पूछा उन्होंने हाल तो कहना पड़ा मुझे
    शिद्दत ग़मे-हयात की थोड़ी-सी कम तो है।

    चलिए, मैं बेशऊर हूँ, बे-अक़्ल हूँ बहुत
    लेकिन हुज़ूर, बात में मेरी भी दम तो है।

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    जो उससे बँध गया, हर ओर से आज़ाद है वो
    तू अपने आपको हर ओर से आज़ाद कर ले।

    कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
    कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।

    क्या कहे भावना जी ..अंमाजी की कलाम से जो भाव लफ़जो से बयाना होते हे.....काबिल-ए-तारीफ हे....

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  20. माना कि मुझको वक़्त ने बर्बाद कर दिया
    इस पर भी मेरे हाथ में मेरी क़लम तो है।

    कोई तो काम इस दुनिया में ऐसा करके जा तू
    कि जिससे दुनिया तुझको याद तेरे बाद कर ले।

    लीलावती जी की इतनी खूबसूरत ग़ज़लों का संकलन है आपका यह ब्लॉग, लगता है पुस्तक अब खरीदनी पढेगी

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